Kavita Jha

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सतरंज की बिसात सुलझी मर्डर मिस्ट्री# लेखनी वार्षिक कहानी लेखन प्रतियोगिता -30-Mar-2022

सतरंज की बिसात की तरह उलझी मर्डर मिस्ट्री सुलझी

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रतन चौधरी जाने माने नेता की मौत के बाद... पूरे गांव में खबर आग की तरह फैल गई। तीन बेटे बहु पोते पोती नौकर चाकरों से भरा परिवार.. किसने गोली चलाई होगी..??? उनके तो हजारों दुश्मन रहे होंगे। राजनीति यूँ ही नही होती..  वहाँ कौन कब दुश्मनी निभा जाऐ पता ही नहीं चलता। एक सतरंज की चाल ही तो होती है राजनीति। पर कब परिवार के सदस्य ही सतरंज का खेल...खेल जाऐं.  कब एक छोटा सा प्यादा सह दे जाऐ।

   वैसे रतन चौधरी की तरह ही उनका बड़ा बेटा गोलू चौधरी पार्टी में शामिल हो गया था और उसके लिए आॅफिस भी बनवा दिया था रतन चौधरी ने। पिता के नक्से कदम पर ही चल रहा था गोलू चौधरी... पर हाँ वो जो चाहता था उसके पिता की विपक्ष पार्टी के साथ हाथ मिलाना जिसके खिलाफ थे रतन चौधरी।रतन चौधरी की मौत के बाद ये बात भी पुलिस की नजर में आई और शक की पहली सुई तो गोलू चौधरी पर ही गई।

रतन चौधरी का दूसरा बेटा भीखू चौधरी जो कि बड़ा काॅन्ट्रैक्टर बन गया था पर इस साल गाँव को शहर से जोड़ने वाला लंबा पुल बनवाने के लिए उसे लाखों की रिस्वत देनी थी जिसके लिए वो अपने पिता रतन चौधरी से संपति में अपना हिस्सा माँग रहा था। जिसके लिए रतन चौधरी अभी तैयार नहीं थे। ये बात भी पुलिस को भीखू चौधरी को शक के घेरे में लिए हुई थी।

   अभिनव चौधरी तीनों बेटों में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा और समझदार था। उसे बी टेक करने के बाद एक बड़ी कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गई थी। उसकी पत्नी सुमन और  एक बेटा अंकित उम्र 11साल और बेटी अंकिता उम्र 6 साल..
अभिनव का हँसता खेलता परिवार, पत्नी सुमन भी एक प्राइवेट स्कूल में टीचर। सब ठीक चल रहा था अभिनव की जिंदगी में उसे ना तो राजनीति से कोई मतलब था.. ना ही  जमीन जायदाद से.. वो तो बस अपनी शिक्षा और  मेहनत के बल से अपने दोनों बच्चों को भी उच्च शिक्षा दिलाना चाहता था.... पर मार्च 2020... में उसकी नौकरी छूट गई.. उसकी पत्नी सुमन की भी नौकरी छूट... बच्चों की पढा़ई ओनलाईन ...स्कूल फीस देना, घर चलाना बहुत मुश्किल हो गया था। पत्नी सुमन भी साल भर घर में रह बेरोजगारी की मार सहते और बच्चों को 24 घंटे संभालते चिड़चिडी हो गई थी। फिर उसकी दोनों जैठानियाँ मेनका और  रतना.. आग में घी डालने का काम करती.. नऐ नऐ कपड़े गहने पहन उसे जलाती।

अब सुमन अकसर अपने पति अभिनव से ऊँची आवाज में बात करती और झगड़ा करती। अभिनव उसे समझाने की लाख कोशिशें करता पर सब बेकार हो जाती। घर में होते हमेशा झगड़ों का असर अभिनव के बेटे अंकित पर पड़ रहा था। सुमन लड़ झगड़ कर बेटी अंकिता को लेकर अपने मायके चली गई पर अंकित अपने पिता अभिनव के पास ही रुक गया। उसकी ओनलाईन परिक्षाऐं चल रही थी जिसमें अभिनव उसकी मदद करता था।
पुलिस मौका वारदात पर जब सबूत जुटा रही थी...
तो हवलदार को एक लाॅकेट लाल रंग के धागे में लगा मिला.. उस लाॅकेट में अभिनव और सुमन की तस्वीर थी.. पुलिस तहकीकात में वो लाॅकेट जिसका था..  नाम सुनकर सब हैरान हो गए..  अंकित चौधरी उम्र 11साल .. दादा का लाडला..   उसी ने दादा पर गोली चलाई थी।
अंकित ने अपना जुल्म कबूल कर लिया और उस दिन की पूरी घटना पुलिस को विस्तार से बताई।
उसे वो बंदूक उसके दोस्त राहुल के घर से मिली थी जिसके पिता पुलिस इंस्पेक्टर थे जो इस केस को देख रहे थे..  बंदूक उन्हीं की थी। खेल खेल में जब राहुल ने अंकित को अपने पापा की बंदूक दिखाई थी.  और उनके बहादुरी के किस्से बताऐ थे..कैसे पिता ने डाकुओं और अपराधियों को मारा। उसी समय से अंकित के मन में वो बंदूक लेने की इच्छा प्रबल हो गई थी। अब घर में होते हुए झगड़ों में  जब दादाजी रत्न चौधरी का नाम सुनता.... उन्हें डाकू अपराधी की तरह ही देखता। अंकित को लगता उसकी मम्मी पापा को उसके दादाजी पैसे नहीं देते हैं... सारे झगड़ो की फसाद वही हैं। बस एक दिन मौका देखकर अंकित उठा लाया था बंदूक राहुल के घर से और फोन पर कई वीडियो देखकर सीख गया बंदूक चलाना।

   माँ और बहन के जाने के बाद से खुद को बहुत अकेला महसूस करता था वो। उस रात जब दादाजी खाने के बाद छत पर टहल रहे थे.. अंकित ने मौका देखा और दादाजी पर गोली चला दी। रत्न चौधरी वहीं ढेर हो गए। और  अंकित ने बड़ी चतुराई के साथ फिंगर प्रिंट मिटा कर उस बंदूक अपने दोस्त के घर वापस  रख आया। पर जब वो गोली चलाने के बाद घबराहट में नीचे आने के लिए जैसे ही मुड़ा उसके गले का वो लॉकेट जो उसके मम्मी पापा ने उसके पहले जन्मदिन पर उसे पहनाया था वहीं गिर गया।
आखिर कातिल पकड़ा गया...
अंकित को चाईल्ड रिहाईबलेशन में भेजा गया।

अंकित सतरंज की बिसात का एक छोटा सा प्यादा जिसने चौधरी परिवार के मुख्या अपने दादाजी का कतल कर दिया।

पुलिस को यह मर्डर मिस्ट्री सतरंज की बाजी के समान ही लग रही थी।  
समाप्त
कविता झा'काव्या कवि'

# लेखनी

## लेखनी वार्षिक कहानी लेखन प्रतियोगिता

२९.०३.२०२२




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1 Comments

Gunjan Kamal

30-Mar-2022 09:05 AM

Very nice

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